Agni Path Row: “वृक्ष हों भले खड़े हों घने, हों बड़े एक पत्र छाँह भी मांग मत! मांग मत! मांग मत! अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! तू न थकेगा कभी तू न थमेगा कभी तू न मुड़ेगा कभी कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! यह महान दृश्य है चल रहा मनुष्य है अश्रु-स्वेद-रक्त से … Continue reading అగ్నిధార- అశ్రుధార
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